चंद्रयान-3 चांद के उस इलाके की जानकारी भेज रहा है जिसके बारे दुनिया को कम पता है। उस तरफ अंधेरा रहता है, बड़े-बड़े गड्ढे दिखाई देते हैं और उसका रहस्य अनसुलझा है। अब चंद्रयान-3 ने अपने यान से नई तस्वीरें भेजी हैं।
लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) वाले लैंडर मॉड्यूल के 23 अगस्त को शाम 6 बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है, इससे पहले अपने चंद्रयान ने कई तस्वीरें भेजी है। इसरो ने बताया है कि कैमरा सेफ लैंडिंग एरिया का पता लगाने में मदद कर रहा है। ऐसी जगह पर विक्रम लैंडर को उतरना है जहां गड्ढे या बोल्टर न हों।
चंद्रयान-3 ने 19 अगस्त 2023 को अपने कैमरे से यह तस्वीर भेजी है। यह चांद का दूसरी तरफ का हिस्सा है, जिसके बारे में लोगों को कम पता है। भारत ने उसी इलाके में अपना यान भेजा है। चांद पर कई बड़े-छोटे गड्ढे दिखाई दे रहे हैं। कुछ तो सैंकड़ों किमी व्यास के बताए जा रहे हैं। इसी इलाके में अपने उतरने की जगह ढूंढ रहा है।
23 अगस्त को चांद के दक्षिण ध्रुव पर चंद्रयान सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला है। रूस रेस से बाहर हो चुका है और 23 अगस्त को भारत अंतरिक्ष की दुनिया में एक नया इतिहास लिखने वाला है। हम पहले होंगे जो साउथ पोल के बारे में जानकारी दुनिया को देंगे। दरअसल, चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र में बने गड्ढे करोड़ों साल से अंधेरे में है। वहां सूरज की रोशनी नहीं पहुंची है। तापमान माइनस में हो सकता है। इस इलाके में लैंडिंग करना आसान नहीं है।
चांद के दक्षिणी ध्रुव का इलाका धरती पर रहने वाले लोगों के लिए रहस्य है। यहां की मिट्टी में रहस्य दफन है। अपना यान लैंडिंग के बाद वहां से जो जानकारियां भेजेगा उससे सौर परिवार का जन्म और चांद- पृथ्वी की उत्पत्ति के रहस्य का पता चल सकते हैं। यह भी पता चलेगा कि चांद पर पानी है या नहीं।