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चांद पर उतरने से पहले क्या होगी स्पीड, विक्रम लैंडर के वो 20 मिनट

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August 22, 2023

चंद्रयान की लैंडिंग का समय करीब आ गया है। इसरो अपने मिशन के लिए अंतिम तैयारियों में जुटा हुआ है। लैंडर विक्रम के चांद की सतह पर लैंडिंग का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। 23 अगस्त को जैसे ही घड़ी की सूई 6 बजकर 4 मिनट पर आएगी, अपना विक्रम चांद की सतह को चूम लेगा। लेकिन इससे पहले आखिरी 20 मिनट का समय काफी जोखिम भरा और सांसें थामने वाला होता है। इसरो चीफ एस. सोमनाथ ने कहा कि उनके वैज्ञानिकों का जोश हाई और हम सभी उत्साह में हैं। 

 

बेंगलुरू में मिशन ऑपरेशन सेंटर में बैठे वैज्ञानिकों का कमांड मिलते ही विक्रम लैंडर चांद की सतह की तरफ बढ़ना शुरू करेगा। लैंडर चांद की सतह से 25 किलोमीटर दूर से नीचे आना शुरू होगा। जैसे ही लैंडर विक्रम को आदेश मिलेगा वह 1.68 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से चांद की सतह पर बढ़ना शुरू करेगा। अगर आप इस रफ्तार को प्रतिघंटे की रफ्तार में बदलते हैं तो यह 6,048 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति होगी। जो विमान की गति से 10 गुना ज्यादा होगी। 

 

इस दौरान ही लैंडर विक्रम के सारे इंजन स्टार्ट रहेंगे और उसकी गति को धीमा करेंगे। चांद की सतह पर विक्रम हॉरिजेंटल उतरेगा। इस चरण को रफ ब्रेक्रिंग फेस कहते हैं, जो करीब 11 मिनट तक चलता है। ये सबसे ज्यादा कठिन चरण होता है। इस दौरान लैंडर विक्रम अपने तकनीकी यंत्रों के जरिए हर आदेश का पालन करते हुए सीधे चांद की सतह की तरफ बढ़ेगा। इस दौरान वह हॉरिजेटल से लंबवत होगा, ये काफी नाजुक चरण होता है। क्योंकि चंद्रयान-2 मिशन के दौरान भी इसी फेस के दौरान विक्रम लैंडर क्रैश कर गया था। 

 

चांद की सतह से 800 मीटर की ऊंचाई पर हॉरिजेंटल और वर्टिकल विलोसिटीज जीरो पर पहुंच जाएगी। इससे विक्रम लैंडर ऊपर चक्कर लगाते हुए सतह पर अपने लिए सुरक्षित ठिकाना खोजेगा। लैंडर विक्रम उतरते हुए चांद की सतह के करीब पहुंचेगा और यह चांद की सतह से 150 मीटर ऊपर आकर थोड़ा रुकेगा। इस दौरान वह चांद की सतह का तस्वीरें लेगा जिससे की किसी प्रकार के खतरे से बचा जा सके और चांद पर उतरने के लिए सही जगह की तलाश पूरी हो जाए। 

 

सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद लैंडर विक्रम चांद पर उतरने के लिए फाइनल टचडाउन की तैयारी शुरू करेगा। चंद्रयान मिशन का पूरा क्लाइमेक्स इन्हीं कुछ मिनटों पर टिका होगा। लैंडिंग के लिए अपने दो इंजनों के जरिए लैंडर चांद की सतह पर उतरेगा। लैंडर के बेहद मजबूत पैर 3 मीटर प्रति सेकेंड (करीब 10.8 किलोमीटर प्रतिघंटे) के प्रभाव को सहने लायक बना होता है। मतलब जो दबाव चांद के सतह पर उतरने के दौरान पड़ेगा, लैंडर के पैर उसे बड़े आराम से बर्दास्त करेगा।