भारत का मिशन चंद्रयान-3 कुछ देर बाद चांद पर जाने को तैयार है। चंद्रयान-3 को लेकर इसरो का LVM3 रॉकेट श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेश सेंटर से दोपहर 2.37 में चांद के लिए रवाना होगी। इसरो का चांद की सतह पर पहुंचने का यह तीसरा प्रयास है। फ्रांस की यात्रा पर गए पीएम मोदी भी चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
उन्होंने पेरिस से एक कार्यक्रम में कहा कि, भारत में चंद्रयान-3 की लॉन्च के लिए रिवर्स काउंटिंग की गूंज सुनाई दे रही है। कुछ ही पलों में भारत के श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 का ऐतिहासिक लॉन्च होने जा रहा है। चंद्रयान-3 के लॉन्च का लाइव टेलिकास्ट ISRO की ऑफिशियल वेबसाइट के अलावा यूट्यूब और ट्विटर-फेसबुक पर भी किया जाएगा। चंद्रयान-3 के लिए अगले दो महीने बेहद अहम है। इस दौरान सबकी धड़कनें बढ़ी रहेंगी। सबको चंद्रयान-3 के चांद पर सॉफ्ट-लैंडिंग करने का इंतजार है। चंद्रयान-2 लैंडिंग के दौरान फेल हुआ था।
चंद्रयान कार्यक्रम की घोषणा औपचारिक रूप से 15 अगस्त 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी। वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत के बाद तब रंग लाई जब 22 अक्टूबर 2008 को इसरो के विश्वसनीय पीएसएलवी-सी 11 रॉकेट के जरिए पहले मिशन चंद्रयान-1 का प्रक्षेपण हुआ। अंतरिक्ष यान चंद्रमा के रसायनिक, खनिज विज्ञान और फोटो-भूगर्भिक मानचित्रण के लिए चंद्र सतह से 100 किमी की ऊंचाई पर चंद्रमा के चारों ओर परिक्रमा कर रहा था। मिशन ने जब कुछ जरूरी उद्देश्य हासिल कर लिए थे, प्रक्षेपण के कुछ महीनों बाद मई 2009 में अंतरिक्ष यान की कक्षा को 200 किमी तक बढ़ा दिया गया। उपग्रह ने चंद्रमा के चारों ओर 3,400 से अधिक चक्कर लगाए है, जो इसरो टीम की अपेक्षा से अधिक थे। मिशन अंतत: समाप्त हुआ और अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिकों ने घोषणा की कि 29 अगस्त 2009 को अंतरिक्ष यान से संपर्क टूट गया।
चंद्रयान-2 मिशन 22 जुलाई 2019 को उड़ान भरने के बाद उसी साल 20 अगस्त को सफलता पूर्वक चंद्र कक्षा में स्थापित कर दिया गया था। अंतरिक्ष यान का हर कदम सटीक था और चंद्रमा की सतह पर उतरने की तैयारी में लैंडर सफलतापूर्वक ऑर्बिटर से अलग हो गया। एक सौ किलोमीटर की ऊंचाई पर चंद्रमा का चक्कर लगाने के बाद लैंडर का चंद्र सतह की ओर आना योजना के अनुसार था और 2.1 किमी की ऊंचाई तक यह समान्य था। हलांकि मिशन अचानक तब समाप्त हो गया जब वैज्ञानिकों का ‘विक्रम’ से संपर्क टूट गया। ‘विक्रम’ का नाम भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक दिवंगत विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया था। चंद्रयान-2 मिशन चंद्रमा की सतह पर वांछित सॉफ्ट लैंडिंग करने में विफल रहा, जिससे इसरो की टीम को दुख हुआ।