दिल्ली में केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ समर्थन को लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है। अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी कांग्रेस से समर्थन की मांग कर रही है। वहीं कांग्रेस ने साफ शब्दों में कह दिया है कि, इस तरह के मुद्दों पर शर्त नहीं रखी जाती है। आप और कांग्रेस के बीच घमासान को विपक्षी एकता में दरार के रूप में देखा जा रहा है।
कांग्रेस पार्टी इस खेल को लास्ट बॉल तक ले जाने का मन बना चुकी है। कांग्रेस अध्यक्ष खरगे के बयान से इसे समझा जा सकता है। खरगे साफ कह चुके हैं कि यह संसद के भीतर का मुद्दा है, जब सत्र शुरु होगा तब देखा जाएगा। वहीं राहुल गांधी भी इस तरह के मामले में एक प्रक्रिया का हवाला दे चुके हैं। ऐसे में राजनीति के जानकार मान रहे हैं कि जिस तरह दोनों दलों के बीच बयानबाजी दिख रही है उससे चीजें आसान होती नजर नहीं आ रही है।
पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक में भी यह मुद्दा उठा था। आम आदमी पार्टी चाहती थी कि कांग्रेस इस मुद्दे पर समर्थन की घोषणा करें। दूसरी तरफ कांग्रेस ने वहां इस मुद्दे पर बिल्कुल किनारा कर लिया था। कांग्रेस का कहना था कि यहां हमलोग विपक्षी एकता और लोकसभा चुनाव में बीजेपी का मुकाबला करने के लिए एकजुट हुए हैं। ऐसे में अध्यादेश को लेकर यहां बात एजेंडे का हिस्सा नहीं है। हलांकि ऐसी खबरें आई थी कि, ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर राहुल गांधी और केजरीवाल के बीच बैठकर मुद्दे का समाधान निकालने को लेकर पहल की थी।
वहीं कांग्रेस नेता अजय माकन ने अरविंद केजरीवाल पर हमला करते हुए कहा कि इसमें कोई शक नहीं रह गया है कि बीजेपी के साथ कौन मिला हुआ है। माकन ने दावा किया कि केजरीवाल जेल जाने से बचने के लिए यह सब कर रहे हैं। कांग्रेस नेता ने पांच अगस्त 2019 को केजरीवाल द्वार किया गया वह ट्वीट भी साझा किया जिसमें आम आदमी पार्टी के संयोजक ने केंद्र सरकार द्वारा संसद में विधेयक लाकर जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के कदम का समर्थ किया था।