लोकसभा दिल्ली सेवा बिल पर आज चर्चा हुई। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली सेवा बिल पर चर्चा के दौरान चुटकी लेते हुए कहा कि, जब मैं खड़ा हुआ तो विपक्ष सुनने के मूड में नहीं था। इसी के साथ सदन में बैठे एनडीए और विपक्ष के सभी सांसदों ने जमकर ठहाका लगाया। इसके बाद शाह ने अपने अंदाज में विपक्ष पर हमला करना शुरु कर दिया। उन्होंने कहा कि, दिल्ली की सरकार का मकसद सिर्फ झगड़ा करना है और उन्होंने भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए विवाद खड़ा किया है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि, संसद के पास किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार है क्योंकि दिल्ली ना तो पूर्ण राज्य है और ना ही संघ शासित प्रदेश है। इसके अलावा एसेंबली के साथ संघ शासित प्रदेश भी नहीं है। कुछ सांसदों ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को कानून बनाने के अधिकार पर सवाल उठाए थे, जिसका जवाब देते हुए उन्होंने अनुच्छेद 239 एए 3बी का जिक्र किया और बताया कि इसमें स्पष्ट है कि संसद को दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र या इसके किसी भी भाग के बारे में उससे संबंधित किसी विषय पर कानून बनाने का पूर्ण अधिकार प्राप्त है।
गृहमंत्री ने इसका जिक्र करते हुए कहा कि, कुछ सांसदों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अपने मनपसंद वाला हिस्सा ही कोट किया और सदन में इसके बारे में बोलते हुए पूरी जानकारी दी जानी चाहिए। उन्होंने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया है कि संसद को 239 ए के तहत कानून बनाने का अधिकार है।
अमित शाह ने बताया कि 1993 से व्यवस्था चली आ रही थी, कभी बीजेपी सत्ता में आई और कभी कांग्रेस ने शासन किया। कभी केंद्र में बीजेपी की सरकार थी तो कभी कांग्रेस की, लेकिन उस समय कोई झगड़ा किसी के बीच नहीं हुआ। ऐसा इसलिए हुआ कि, किसी की भी मंशा अधिकार हथियाने की नहीं, बल्कि सेवा करने की थी। लेकिन 2015 में स्थिति बदली और यहां एक ऐसे दल की सरकार आई, जिसका मकसद सेवा करना नहीं बल्कि झगड़ा करना है। अनेक पार्टियों के मुख्यमंत्री, मिली जुली सरकार भी रही, लेकिन किसी को भी कोई दिक्कत नहीं आई। दिल्ली की सरकार को ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार की दिक्क्त नहीं है, विजलेंस को कंट्रोल में लेकर जो बंगला बनाया है इसका सच छुपाना है। जो भ्रष्टाचार हो रहा है, उसका सच छिपाना है।
अमित शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि, चुनाव जीतने और किसी पक्ष का समर्थन हासिल करने के लिए किसी विधेयक का विरोध और उसका समर्थन नहीं करना चाहिए। नया गठबंधन बनाने के लिए अनेक प्रकार होते हैं, लेकिन विधेयक और कानून देश के भले के लिए होते हैं। इसका समर्थन भी देश और दिल्ली के भले के लिए करना चाहिए। दिल्ली का जो होना है हो, कितना भी भ्रष्टाचार हो, मुख्यमंत्री कुछ भी करे, मुख्यमंत्री करोड़ों के बंगले बनाए लेकिन हम विपक्ष में रहते हुए समर्थन करेंगे, क्योंकि हमें गठबंधन बनाना है। इस तरह से नहीं सोचना चाहिए। आपको दिल्ली का सोचना चाहिए, एलायंस का नहीं सोचना चाहिए, क्योंकि एलायंस से आपको फायदा नहीं होने वाला है।