नवरात्रि, एक आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण त्योहार है, और दुनिया भर में लाखों लोगों के दिलों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। हिंदू पौराणिक कथाओं और संस्कृति में गहराई से निहित, नवरात्रि, जिसका संस्कृत में अर्थ है “नौ रातें”, भक्ति, संगीत, नृत्य और उपवास के माध्यम से बुराई पर अच्छाई की विजय का जश्न मनाता है। पूरे भारत में और वैश्विक भारतीय प्रवासियों द्वारा उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाने वाला, नवरात्रि देवी दुर्गा और उनकी अभिव्यक्तियों की पूजा का प्रतीक है, जो स्त्रीत्व की शक्ति और धार्मिकता की जीत का प्रतीक है।
श्रद्धा और उत्सव में हाथ मिलाते हुए, नवरात्रि सीमाओं को पार करती है, सभी को इसके मनमोहक उत्सव में भाग लेने और इस पवित्र अवधि के दौरान वातावरण में व्याप्त दिव्य ऊर्जा का अनुभव करने के लिए आमंत्रित करती है। नवरात्रि के इस शुभ अवसर पर 15 ऐसे मंत्र जो आपके जीवन से नकारात्मकता को दूर रखेंगे। यह 15 मंत्र जो हर हिंदू को सीखना और बच्चों को सिखाना चाहिए।
ॐ महामृत्युनजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे,
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ,
उर्वारुकमिव बन्धनान्,
मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् !!
श्री गणेश मंत्र
वक्रतुंड महाकाय,
सूर्य कोटि समप्रभ
निर्विघ्नम कुरू मे देव,
सर्वकार्येषु सर्वदा !!
श्री विष्णु मंत्र
मङ्गलम् भगवान विष्णुः,
मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः,
मङ्गलाय तनो हरिः॥
श्री ब्रह्म मंत्र
ॐ नमस्ते परमं ब्रह्मा,
नमस्ते परमात्ने ।
निर्गुणाय नमस्तुभ्यं,
सदुयाय नमो नम:।।
श्री कृष्ण मंत्र
वसुदेवसुतं देवं,
कंसचाणूरमर्दनम्।
देवकी परमानन्दं,
कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम।
श्री राम मंत्र
श्री रामाय रामभद्राय,
रामचन्द्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय,
सीताया पतये नमः !
श्री दुर्गा मंत्र
ॐ जयंती मंगला काली,
भद्रकाली कपालिनी ।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री,
स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
श्री महालक्ष्मी मंत्र
ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो,
धन धान्यः सुतान्वितः ।
मनुष्यो मत्प्रसादेन,
भविष्यति न संशयःॐ ।
श्री सरस्वती मंत्र
ॐ सरस्वति नमस्तुभ्यं,
वरदे कामरूपिणि।
विद्यारम्भं करिष्यामि,
सिद्धिर्भवतु मे सदा ।।
श्री महाकाली मंत्र
ॐ क्रीं क्रीं क्रीं,
हलीं ह्रीं खं स्फोटय,
क्रीं क्रीं क्रीं फट !!
श्री हनुमान मंत्र
मनोजवं मारुततुल्यवेगं,
जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं,
श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥
श्री शनि मंत्र
ॐ नीलांजनसमाभासं,
रविपुत्रं यमाग्रजम ।
छायामार्तण्डसम्भूतं,
तं नमामि शनैश्चरम् ||
श्री कार्तिकेय मंत्र
ॐ शारवाना-भावाया नम:,
ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा ,
वल्लीईकल्याणा सुंदरा।
देवसेना मन: कांता,
कार्तिकेया नामोस्तुते ।
श्री काल भैरव मंत्र
ॐ ह्रीं वां बटुकाये,
क्षौं क्षौं आपदुद्धाराणाये,
कुरु कुरु बटुकाये,
ह्रीं बटुकाये स्वाहा।
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्वः,
तत्सवितुर्वरेण्यम्
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥