इजरायल और हमास के बीच हो रही जंग को रोकने के लिए कई देश कोशिश कर रहे हैं। लेकिन इसे रोकने में कामयाबी नहीं मिली है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बुधवार को हो रहे जी-20 सम्मेलन के दौरान इजरायल और हमास के जंग को रोकने पर विस्तार से चर्चा होने की संभावना है। इस बैठक में जी-20 के लगभग सभी सदस्य देश शामिल होंगे। जी-20 के विभिन्न मंचों से इस युद्ध के विभिन्न पहलुओं पर गहन मंथन के बाद इजरायल से तत्काल युद्ध विराम करने और हमास से बंधकों की सकुशल रिहाई पर बात हो सकती है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए भारत की अध्यक्षता में जी-20 सम्मेलन करने का सुझाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही दिया था, उन्होंने ये सुझाव 10 सितंबर को दिल्ली में हुए जी-20 सम्मेलन के दौरान दिया था। इजरायल- हमास जंग के बीच होने वाले इस सम्मेलन की टाइमिंग बेहद महत्वपूर्ण है। जी-20 के जरिए भारत मध्य-पूर्व के इस भयानक संकट का शांतिपूर्ण समाधान निकालने की कोशिश कर रही है।
भारत ये कोशिश कर रहा है कि 7 अक्टूबर को इजरायल पर हुए हमास के आतंकी हमले को लेकर वैश्विक समुदाय को एकजुट किया जाए। जिससे की इजरायल के घाव पर भी मरहम लग सके। गाजा में मानवीय संकट पर अंतरर्राष्ट्रीय जगत को मिलकर काम करने की जी-20 की अपील से हमास पर बंधकों की सुरक्षित रिहाई को लेकर दवाब बन सकेगा। इसके साथ ही रूस- यूक्रेन युद्ध के बाद ये दूसरा ऐसा ऐसा मुद्दा है जब भारत जी-20 के मंच पर सर्वसम्मति बनाने की कोशिश कर रहा है।
आपको याद होगा कि, 7 अक्टूबर को इजरायल पर हुए हमास के बर्बरतापूर्ण हमले के बाद से इजरायल लगातार गाजा पर हवाई हमले कर रहा है। इन हमलों में कई निर्दोष लोगों की मौत हो रही है। इसे लेकर ज्यादातर देशों का रूख पक्षपातपूर्ण रहा है। ऐसे में भारत दुनियाभर में गिनती के उन देशों में से एक है, जो इस समस्या के साथ-साथ मौजूद विवाद और हालात को लेकर भी दोनों पक्षों की उचित बातों को उठा रहा है। 7 अक्टूबर को हुए आतंकी हमले की भारत ने निंदा की है। जबकि फिलिस्तीन के लोगों के अधिकारों और दो अलग देशों वाली मांग का पुरजोर समर्थन किया है।
इजराइल-हमास जंग का समाधान निकालने के लिए भारत ने मध्य-पूर्व के देशों के विदेश मंत्रियों को अलग से भारत आने का न्योता दिया है। इजिप्ट, जार्डन, ईरान, फिलीस्तीन एवं कई अन्य देशों के प्रतिनिधि जल्द ही भारत आने वाले हैं। इजराइल-फिलीस्तीन विवाद का स्थायी समाधान निकालने के लिए भारत इन देशों के साथ गहन चर्चा करेगा। भारत के इस कदम से चीन की चालबाजियों पर भी अंकुश लगाने में कामयाबी मिल सकेगी, जो शांति की बातचीत के नाम पर मध्य-पूर्व के देशों को और अधिक भड़काने में लगा है।