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जी-20 शिखर सम्मेलन में शिरकत नहीं करेंगे शी जिनपिंग, प्रधानमंत्री ली कियांग करेंगे चीन का नेतृत्व

In World News
September 04, 2023

भारत इस बार जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। इस सम्मेलन में दुनिया के बड़े लीडर्स भारत में इकट्ठा होने वाले हैं, लेकिन इस बैठक से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग नदारद रहने वाले हैं। आगामी 9 और 10 सितंबर को शी जिनपिंग सम्मेलन के लिए नई दिल्ली आएंगे या नहीं इस पर उनके प्रवक्ता के तरफ से काफी सस्पेंस बनाया गया। लेकिन अंत में आधिकारिक रुप से ऐलान कर दिया गया कि, शी जिनपिंग इस शिखर सम्मेलन में शिरकत नहीं करेंगे, उनकी जगह चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग, चीन का नेतृत्व करेंगे। 

जिनपिंग का सम्मेलन से गायब रहना कोई साधारण बात नहीं है। हाल ही में दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स बैठक से इतर जिनपिंग और मोदी की एक मीटिंग हुई थी। इसमें पीएम मोदी ने जिनपिंग को दो टूक शब्दों में कह दिया कि, दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को बिना किसी देरी के सिर्फ बातचीत के जरिए ही हल किया जाना चाहिए। ब्रिक्स सम्मेलन के बा चीन ने एक नक्शा जारी किया है जिसमें अरुणाचल और पूर्वी लद्दाख के कुछ हिस्सों को चीन के क्षेत्र में दिखाया है। जिसका भारत ने कड़ा विरोध जताया है। लेकिन दिलचस्प बात ये है कि, पहली बार अमेरिका के साथ कई और देशों ने चीन की इस अड़ियल नीति पर नाखुशी जताई थी। चीन ने इस पर बड़ी ही लापरवाही से जवाब देते हुए कहा कि भारत को नक्शा विवाद को गलत नहीं समझना चाहिए। 

जी-20 में जिनपिंग की अनुपस्थिति सिर्फ भारत को ठेस पहुंचाना है। शी के शिखर सम्मेलन से हटने को चीन के भारत को केंद्र में स्थान देने से अनिच्छा के रूप में देखा जा सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में, पीएम मोदी ने अंतरराष्‍ट्रीय मंचों जैसे जी20 में अफ्रीकी यूनियन की दृढ़ता से वकालत की।

 दूसरी तरफ 23 अगस्त को चंद्रयान-3 का दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरना और फिर आदित्‍य एल1 की लॉन्चिंग ने भारत को एक प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति के रूप में स्थापित किया है। जहां भारत की जीडीपी 7.8 फीसदी की दर से बढ़ रही है, वहीं चीन का नियंत्रण कमजोर पड़ रहा है। साथ ही जिनपिंग के लिए यह भी असहनीय है कि बाइडन जी-20 शिखर सम्मेलन से एक दिन पहले नई दिल्ली जा रहे हैं ताकि वह पीएम मोदी के साथ मुलाकात कर सकें। कहीं न कहीं जी-20 के जरिए चीन अपनी महाशक्ति की स्थिति को खतरे में देख रहा है।