चांद के करीब पहुंच गया है चंद्रयान-3, इसके साथ ही उसने आखिरी ऑर्बिट में अपनी जगह बना ली है। 17 अगस्त को प्रोपल्शन मॉड्यूल से लैंडर को अलग किया जाएगा। चंद्रयान-3 के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है। भारत का मून मिशन चंद्रयान-3 आज आखिरी ऑर्बिट में (153 km x 163km) में पहुंच गया है। इसरो ने इसकी जानकारी दी। 17 अगस्त का दिन चंद्रयान-3 के लिए अहम होगा। क्योंकि इस दिन इसरो चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर से अलग करेगा। आपको बता दें कि, इसरो ने 14 अगस्त को तीसरी बार चंद्रयान-3 की ऑर्बिट घटाई थी।
चंद्रयान-3 को (153 km x 163km) की कक्षा में स्थापित करने के साथ ही लूनार बॉन्ड का प्रोसेस पूरा हो गया है। अब प्रोपल्शन मॉड्यूल के तैयारी का समय है। लैंडर मॉड्यूल अपनी अलग-अलग यात्राओं के लिए तैयार है। 17 अगस्त को प्रोपल्शन मॉड्यूल से लैंडर मॉड्यूल को अलग किया जाएगा।
चंद्रयान-3 ने जब पहली बार चंद्रमा की कक्षा में एंट्री की थी तो उसकी ऑर्बिट 164 km x 18,074 km थी। ऑर्बिट में प्रवेश करते समय उसके ऑनबोर्ड कैमरों ने चांद की तस्वीरें भी कैप्चर की थी। इसरो ने अपनी वेबसाइट पर इसका वीडियो बनाकर शेयर किया था। चंद्रयाण-3 पांच अगस्त को शाम करीब 7.15 बजे चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा था।
पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने के बाद चंद्रयान-3 की कक्षा चौथी बार बदली गई थी। इससे पहले 6 और 9 अगस्त को कक्षा में बदलाव हुआ था। 23 अगस्त को शाम करीब 5:30 बजे लैंडर चांद की सतह पर लैंड करेगा। लैंडिंग से पहले चंद्रयान-3 को चार बार अपनी ऑर्बिट कम करनी पड़ी।
आपको बता दें कि, इसरो ने चंद्रयान-3 को चांद तक पहुंचाने के लिए तीन हिस्से तैयार किए हैं, जिसे मॉड्यूल कहा जाता है। इसका पहला हिस्सा प्रोपल्शन है, जो उड़ान भरने में चंद्रयान-3 की मदद करेगा। इसका दूसरा हिस्सा लैंडर है, जिसकी मदद से चंद्रयान-3 चांद पर लैंड करेगा। जबकि चंद्रयान-3 का तीसरे हिस्से को रोवर कहते हैं, जो चांद पर घूमने और उसकी सतह से डिटेल हासिल करने में मदद करता है।