चांद पर रवाना किए गए रूस के महत्वाकांक्षी लूनर मिशन लूना-25 ने चंद्रमा की कक्षा में दाखिल होने के बाद इसके सतह की पहली फोटो भेजी है। रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने इस फोटो को आधिकारिक टेलीग्राम चैनल पर शेयर किया है।
दरअसल, रूस के लूनर मिशन लूना-25 पर दुनिया भर की नजरें है। भारत के चंद्रयान-3 के करीब एक महीने बाद रवाना हुआ लूना चंद्रमा की कक्षा में दाखिल हो चुका है। लूना-25 ने चंद्रमा की पहली तस्वीर कक्षा में दाखिल होने के बाद भेजी है। एजेंसी ने बताया कि करीब पांच दिनों तक लूना-25 चंद्रमा का चक्कर लगाएगा, फिर 21 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए अपना रास्ता बदलेगा। दो दिनों बाद 23 अगस्त को भारत का चंद्रयान-3 दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।
रोस्कोस्मोस ने 17 अगस्त को शेयर की गई पहली तस्वीर में बताया कि लूना-25 के लैंडर चंद्रमा के सतह की पहली डिटेल फोटो खींची है। रोस्कोस्मोस के अधिकारियों ने पोस्ट में लिखा, तस्वीर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्रेटर जीमन की है। ये गड्डा 75 डिग्री पश्चिम देशांतर पर है।
सोवियत संघ के पतन के बाद करीब 50 सालों में यह रूस का पहला चंद्रमा मिशन है और इसे एक मील का पत्थर माना जा रहा है। इससे पहले 13 अगस्त को भी लूना-25 ने कुछ तस्वीरें भेजी थी। इन तस्वीरों में एक तरफ पृथ्वी और एक तरफ चांद दिख रहा था। साथ ही मिशन का प्रतीक और ऑनबोर्ड मैनिपुलेटर भी नजर आ रहा था।
जीमन चंद्रमा के प्रभाव के कारण बना एक गड्ढा है जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास स्थित है। यह पृथ्वी से नजर नहीं आता है। जीमन के उत्तर-पश्चिम में न्यूमेरोव क्रेटर और दक्षिण पूर्व में एशब्रुक क्रेटर है। वैज्ञानिक आज तक उस घटना को समझने में लगे हैं जिसके कारण से इन क्रेटर्स का निर्माण हुआ है। जीमन का बाहरी किनारा कटा हुआ है और काफी टेढ़ा-मेढ़ा है। ढलानों की चौड़ाई भी बहुत अलग है।
लूना-25 अभी चंद्रमा की कक्षा में है लेकिन यह लंबे समय तक वहां नहीं रहेगा। आने वाले दिनों में लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास मौजूद भूरे रंग की गंदगी के एक टुकड़े की जांच करेगा। यह इलाका बर्फ से भरा हुआ माना जाता है। अगल लूना-25 लैंडिंग में सफल रहता है, तो अंतरिक्ष यान एक साल तक चलने वाले मिशन को अंजाम देगा। बर्फ के अलावा वह कई अन्य जांच पूरी करेगा।