मणिपुर में जो कुछ भी हो रहा है वो शर्मसार करने वाला है। सोशल मीडिया पर इस वक्त एक वीडियो वायरल हो रहा है जो वीडियो हर देखने वालों को हैरान कर रहा है। इस वीडियो में दो महिलाओं के कपड़े उतरवाकर निर्वस्त्र सड़कों पर घुमाया जा रहा है। दरअसल, मणिपुर में दो गुटों में शुरू हुई लड़ाई अब बहुत ही गंदे मोड़ पर पहुंच चुकी है और इन दोनों महिलाओं का ये वीडियो मानवता को पूरी तरह से शर्मसार कर रहा है।
पिछले दो महीने से देश का एक राज्य जातीय हिंसा में भड़का हुआ है, हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि महिलाओं को सरेआम शर्मसार किया जा रहा है और उनका यौन शोषण हो रहा है। इस हिंसा में करीब 150 लोग अपनी जान गवां चुके हैं, हजारों लोग बेघर हो गए हैं और पूरा राज्य पिछले दो महीनों से अस्त-व्यस्त है। ये हिंसा कब थमेगी इसका जवाब किसी के पास नहीं है। जातियों के बीच संघर्ष से जुड़ी लड़ाई राज्य में पूरी तरह से फैल गई है और हर रोज उपद्रवियों का तांडव देखने को मिला है। बुधवार को इसी निर्ममता से भरा एक वीडियो सामने आया है, जहां 4 जुलाई को एक समुदाय के उपद्रवियों द्वारा दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर घुमाया जा रहा है। इस वीडियो के वायरल होने के बाद काफी हंगामा मचा हुआ है। वहीं पुलिस ने एक्शन लेने की बात कही है।
मणिपुर में पिछले दो महीने से जो कुछ भी हो रहा है, उसकी असली वजह क्या है, जिस हिंसा ने हजारों लोगों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर किया, सैकड़ों लोग हथियार लेकर सड़कों पर दौड़ते नजर आ रहे हैं। कुकी और मैतई समुदाय के बीच यह विवाद क्यों इतना गंभीर हो गया है। ऐसे तमाम सवाल है जिसके जवाब जानने जरूरी है।
आपको बता दें कि, मणिपुर का पूरा इलाका पहाड़ी है, यहां मुख्य रूप से तीन जनजातियों के लोग रहते हैं जिनमें मैतई, नागा और कुकी समुदाय हैं। इनमें मैतई सबसे बड़ा समुदाय है, जो कि आबादी का करीब 60 फीसदी है। लेकिन उसके पास राज्य की सिर्फ 10 फीसदी ही जमीन है और ये लड़ाई इसी की है। दूसरी ओर नगा और कुकी समुदाय के लोगों की बात करें तो उनकी आबादी 40 फीसदी के करीब है लेकिन राज्य का 90 फीसदी इलाका जो पहाड़ी है, वह उनके पास ही आता है।
दोनों के बीच विवाद आरक्षण से शुरू हुआ है। पहाड़ में होने वाली 30 से अधिक छोटी-बड़ी जनजातियों को एसटी का दर्जा प्राप्त है, इनको कई सुविधाएं भी मिलती है। मैतई समुदाय इसका विरोध करता रहा है और वह अपने लिए भी एसटी दर्जे की मांग कर रहा था, ताकि उन्हें भी कुछ सुविधाएं और सुरक्षा मिल जाएं।
मैतई और नागा-कुकी समुदाय के बीच यही विवाद है, क्योंकि पहाड़ी क्षेत्र वालों को लगता है कि मैतई को एसटी का दर्जा मिलता है, तो वह पहाड़ी इलाकों में आएंगे और उनके अधिकार लेंगे। मैतई समुदाय लंबे समय से एसटी दर्जे की मांग कर रही थी, इस बीच हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में मैतई समुदाय को एसटी दर्जा देने पर विचार करने की बात कही थी।
हाईकोर्ट की इस टिप्पणी ने राज्य का माहौल और भी बिगाड़ दिया, 3 मई को ATSUM ने एक रैली निकाली थी। इसी रैली के बाद माहौल उग्र हुआ और 4 मई को राज्य में हिंसा फैल गई। 4 मई से जो हिंसा शुरू हुई, वह अब भी जारी है। इस हिंसा में 150 से अधिक लोगों की मौत हो गई, वहीं एक रिपोर्ट की मानें तो 60 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हो गए हैं।