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अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष के निशाने पर पीएम मोदी, बीजेपी ने राहुल गांधी को घेरा

In Politics
August 08, 2023

लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा जारी है। 10 अगस्त तक चलने वाली बहस में  पीएम मोदी विपक्ष के सीधे निशाने पर हैं, तो दूसरी तरफ बीजेपी भी राहुल गांधी पर जमकर पलटवार कर रही है। तीन दिनों तक चलने वाले इस सियासी मैच के पहले दिन बीजेपी ने अपनी रणनीति से विपक्ष को हैरान कर दिया। कांग्रेस ने सदन में राहुल गांधी के नहीं बोलने देने की शिकायत करती रही है, लेकिन आज सीन बिल्कुल उल्टा था। बीजेपी सांसद ही राहुल गांधी के भाषण की मांग करते नजर आए। 

 

सदन में राहुल गांधी के नहीं बोलने को लेकर भी हंगामा हुआ और कुछ देर तक बहस रूकी रही। अविश्वास प्रस्ताव की इस बहस में पार्टियां अपना पर्सनल स्कोर भी सेट करती नजर आईं। डिंपल यादव जहां योगी आदित्यनाथ को घेरती नजर आई, वहीं शिंदे और उद्धव गुट के सांसद मणिपुर से ज्यादा महाराष्ट्र पर बहस करते नजर आए। पीएम मोदी इस बहस के अंतिम दिन यानी 10 अगस्त को जवाब देंगे। चर्चा ये भी है कि राहुल गांधी भी 10 अगस्त को ही विपक्ष की तरफ से मोर्चा संभालेंगे। 

 

अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा ने अविश्वास प्रस्ताव का विरोध करते हुए विपक्ष पर ही सवाल उठा दिए। उन्होंने कहा कि, ये अविश्वास प्रस्ताव लाया ही इसलिए गया था ताकि मणिपुर में महिलाओं पर हुए अत्याचार पर चर्चा हो। हम महिलाएं संसद में बैटी हूं। हम महिलाएं मां फिर सांसद हैं। सुबह से ही देख रही हूं कि विपक्ष के निशाने पर सिर्फ पीएम मोदी ही टारगेट पर हैं। महिलाओं पर कहीं पर भी सहानुभूति नहीं है। महिलाओं के फेवर में विपक्ष का एक भी शब्द मुझे सुनाई नहीं दिया। 

 

वहीं जब कांग्रेस की तरफ से मनीष तिवारी ने बोलना शुरू किया, उन्होंने कहा कि, किसी राज्य में कुछ होता है तो उसका पूरा असर उत्तर पूर्व के राज्यों पर होता है। इसी सदन में 4 साल पहले अनुच्छेद 370 को धाराशायी कर दिया गया। आज तक उस प्रदेश में चुनाव नहीं हुए हैं। उस राज्य को अभी तक पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया गया। जब आप संविधान की धाराओं से छेड़छाड़ करते हैं तो उसका बहुत दूरगामी प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि मणिपुर के साथ म्यांमार की सरहत लगती है। म्यांमार की जुंटा का रिश्ता चीन से जगजाहिर है। इसलिए मणिपुर में अस्थिरता होती है उसका असर देश में ही नहीं पड़ता है बल्कि भारतीय सुरक्षा पर भी पड़ता है। इसी संदर्भ में मैं चीन का भी जिक्र करता हूं। साल 2020 अप्रैल में नियंत्रण रेखा के पार भारत की सरहद में घुसपैठ हुई। घुसपैठ एक जगह पर नहीं हुई, 8 जगहों पर हुई। मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि आज 37 महीने हो गए हैं उस घुसपैठ को जारी हुए, क्या सरकार इस घुसपैठ पर ये सुनिश्चित कर पाई है कि इसके पीछे चीन की राजनीतिक मंशा क्या है। आज तक इस सदन में चीन पर चर्चा नहीं हुई। क्या ऐसी थियेटर लेवल की घुसपैठ हो और हमारी खुफिया तंत्र को पता नहीं लगे।