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सऊदी अरब के जेद्दा में 40 देशों के NSA की बैठक, डोभाल ने कहा, यूक्रेन में शांति जरूरी लेकन रूस के बिना संभव नहीं

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August 07, 2023

सऊदी अरब के जेद्दा में 40 देशों के सुरक्षा सलाहकारों की बैठक हुई है। इस बैठक में भारत के एनएसए अजित डोभाल भी मौजूद थे। इस सम्मेलन में अजित डोभाल के नेतृत्व में यूक्रेन पर शांति के लिए एक फॉर्म्यूला तैयार किया गया है। डोभाल ने इस मीटिंग के जरिए दुनिया को स्पष्ट संदेश दिया है कि यूक्रेन में शांति जरूरी है, लेकिन रूस को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। डोभाल ने कहा कि, यूक्रेन के लिए जो भी प्रस्ताव बनें उसमें रूस का होना बहुत जरूरी है। उनका बयान ये बताने के लिए काफी है कि भारत के लिए रूस की दोस्ती आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी युद्ध के पहले थी। 

 

इस बैठक के जरिए भारत के एनएसए अजित डोभाल ने ये साफ कर दिया कि, यूक्रेन में शांति का समाधान होना चाहिए जो रूस के विचारों से मेल खाता हो और सभी को मान्य हो। किसी भी शांति समझौते के लिए रूस को शामिल किया जाना चाहिए। डोभाल ने कहा, वर्तमान में, कई शांति प्रस्ताव सामने आए हैं। हर प्रस्ताव में कोई ना कोई सकारात्मक बातें है, लेकिन दोनों पक्ष को कोई भी शांति प्रस्ताव स्वीकार नहीं है। ऐसे में इस मीटिंग में ध्यान देने की जरूरत है कि क्या कोई ऐसा समाधान तलाशा जा सकता है जो सभी को मंजूर हो। रूस इस मीटिंग में शामिल नहीं था। लेकिन यूक्रेन ने अपना 10 प्वाइंट वाला शांति फॉर्म्यूला पेश किया है। अभी इस बात की जानकारी नहीं मिल सकी है कि, कितने देशों ने इस फॉर्म्यूले का समर्थन किया है। 

 

इस मीटिंग में डोभाल ने ये साफ कर दिया है कि भारत एक स्थायी और व्यापक समाधान खोजने के लिए सक्रिय और इच्छुक भागीदार बना रहेगा। उन्होंने आगे बढ़ने के रास्ते के तौर पर बातचीत और कूटनीति पर भारत के फोकस को दोहराया। डोभाल ने मीटिंग में बताया कि युद्ध की शुरुआत के बाद से ही भारत लगातार रूस और यूक्रेन के साथ बातचीत करता रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, भारत संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का समर्थन करता है। साथ ही सभी देशों की तरफ से संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता है। 

 

डोभाल के इस बयान से एक बात साफ हो गई कि, भारत के लिए रूस का साथ आज भी जरूरी है। भारत के रूस के साथ गहरे संबंध हैं और यही कारण है कि युद्ध के लिए अबतक रूस की निंदा नहीं की है। युद्ध के करीब डेढ़ साल बाद भी किसी भी बड़े मंच से भारत की तरफ से रूस की आलोचना नहीं की गई। जेद्दा में हुई बैठक से पहले कोपेनहेगन में इसकी वार्ता हुई थी। यह एक अनौपचारिक बैठक थी इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया।