चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के बाद लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान अपने काम पर लग गए हैं। इसरो ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। इसरो ने बताया कि चंद्रयान-3 चंद्रमा लैंडर के साथ एक कम्युनिकेशन लिंक स्थापित कर लिया है। विक्रम लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतर चुका है। इसरो ने गुरुवार सुबह ट्वीट कर बताया कि, चंद्रयान-3 का रोवर लैंडर से बाहर आ गया है। भारत की चांद पर चहलकदमी शुरू हो चुकी है।
इसरो की तरफ से विक्रम की लैंडिंग के बाद चांद की पहली तस्वीर जारी की गई है। इसरो ने ट्वीट कर लिखा, चंद्रयान-3 रोवर, मेड इन इंडिया, मेड फॉर द मून। इसके साथ ही इसरो ने बताया कि ये तस्वीरें उतरते समय लैंडर विक्रम की हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कैमरे से ली गई थी। चंद्रमा पर लैंडिंग के बाद रोवर प्रज्ञान और विक्रम अपने-अपने हिस्से के टेस्ट शुरू कर देंगे।
चांद पर चंद्रयान-3 की खोज भविष्य की तस्वीर बदल देगी। चंद्रमा पर बर्फ के रूप में जल की खोज भविष्य और उसके आगे के लिए भी अहम संसाधन है। इसे सांस लेने वाली हवा, पेयजल और सबसे अहम रॉकेट ईंधन के लिए हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में तब्दील किया जा सकता है। इससे अंतरिक्ष यात्रा में क्रांति आ सकती है, क्योंकि इन संसाधनों को पृथ्वी से ले जाने की जरूरत नहीं होगी और लंबी अवधि के मिशन संभव हो सकेंगे।
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव इलाके में बर्फ के रूप में पानी की मौजूदगी की पुष्टि हो चुकी है। भारत द्वारा साल 2008 में भेजे गए चंद्रयान-1 समेत विभिन्न चंद्रमा मिशन से मिले आंकड़ों से संकेत मिला है कि हमेशा छाया में रहने वाले इलाके में जल अणु की मौजूदगी है। इस खोज ने चांद के उत्साहजनक स्थायी अन्वेषण की संभावनाओं को बल दिया है।