थोक महंगाई को लेकर आम आदमी के लिए राहत की खबर है। जून 2023 में होलसेल प्राइस इंडेक्स पर बेस्ड महंगाई दर नीचे आई है। ये लगातार तीसरा महीना है जब इसमें गिरावट देखी गई है। उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल जून के मुकाबले ये घटकर 4.12 फीसदी रह गई।
पिछले साल जून में थोक महंगाई दर 16.23 प्रतिशत थी। वहीं मई महीने में 3.48 प्रतिशत थी। थोक महंगाई में गिरावट की मुख्य वजब जून में खनिज तेल, खाने-पीने की वस्तुओं, धातु, कच्चा तेल (पेट्रोलियम प्रोडक्ट), प्राकृतिक गैस और कपड़े के दामों में कमी आना है। खाने पीने की वस्तुओं के थोक दामों पर बेस्ड फूड इंफ्लेशन भी सालाना आधार पर जून में गिरी है।
फूड इंफ्लेशन जून 2023 में गिरकर 1.24 प्रतिशत रह गई है, ये पिछले साल जून में 1.59 प्रतिशत थी। अगर खाने-पीने की वस्तुओं में कैटेगरी वाइज देखा जाए, तो सब्जियों की कीमतों में 21.98 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है, जबकि दूध के दामों में 8.59 प्रतिशत और दालों के भाव में 9.21 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई है।
वहीं अगर पेट्रोल और डीजल यानी पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत जून में 12.63 प्रतिशत गिरी है। एलपीजी के दाम में जून में 22.29 प्रतिशत के थोक दाम 16.32 प्रतिशत गिरे हैं। कच्चे तेल की कीमत भी 32.68 प्रतिशत नीचे आई है। मैन्युफैक्चर्ड सामानों की महंगाई दर घटकर 2.71 प्रतिशत रह गई है।
थोक महंगाई दर में कमी आने के बावजूद आरबीआई के लिए महंगाई पर नियंत्रण करना अब भी चुनौती बनी हुई है। इसके कारण रिटेल महंगाई दर का 4 फीसदी से अधिक बनें रहना है। जून में रिटेल इंफ्लेशन रेट एक बार फिर बढ़ा है। ये 4.81 प्रतिशत पर थी, जो 25 महीने का निचला स्तर था।
आरबीआई अपनी मौद्रिक नीति तय करते समय रिटेल इंफ्लेशन के आंकड़ों पर भी गौर करता है। हलांकि राहत की बात ये है कि आरबीआई के रेपो रेट बढ़ाने का असर अब दिख रहा है और खुदरा महंगाई दर 6 फीसदी की अधिकतम सीमा के मुकाबले जून में लगातार चौथे महीने नीचे रही है।