जापान को तीसरी बार अपना मून मिशन टालना पड़ गया है। जापान 28 अगस्त को चंद्र मिशन को लॉन्च करने वाला था लेकिन खराब मौसम के कारण लॉन्चिंग टल गया। जापान की जापानी एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी यानी जैक्सा ने H2-A के साथ अपने सबसे विश्वसनीय भारी पेलोड रॉकेट को इस मिशन के लिए चुना था।
मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज लिमिटेड, जिसने इस स्पेसक्रफ्ट को बनाया है, उसने अगली तारीख नहीं दी है कि कब लॉन्च किया जाएगा। इस कंपनी पर ही इसकी लॉन्चिंग की जिम्मेदारी है। इसे पहले शनिवार को लॉन्च होना था। लेकिन खराब मौसम के कारण पहले रविवार और फिर सोमवार तक बढ़ाया गया। अगर यह मिशन लॉन्च हो गया होता तो रूस के क्रैश हुए लूना-25 और भारत के चंद्रयान-3 के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जाने वाला तीसरा देश जापान बन जाता।
इस मिशन को पहले इस साल जनवरी 2023 में ही लॉन्च होना था। लेकिन एक के बाद एक मिली असफलताओं के कारण जापान अपने खराब अतंरिक्ष कार्यक्रम को बदलना चाहता है। उसका मानना है कि वह अभी निजी स्पेस सेक्टर में एलन मास्क के स्पेसएक्स से काफी पीछे है। जापान के मून लैंडर को स्मार्ट लैंडर फॉर इनवेस्टिगेटिंग मून यानी स्लिम नाम दिया गया है। यह एक मून स्नाइपर है और सटीकता के कारण इसे स्नाइपर कहा जा रहा है।
जैक्सा बेसब्री से अपने मून मिशन का इंतजार कर रही है। स्लिम का मकसद चंद्रमा का पिन प्वाइंट लैंडिंग की टेक्लोलॉजी को आगे बढ़ाना है। जापान के मिशन को बाकी देशों के चंद्रमा अभियान को एक नई दिशा देने वाला मिशन भी करार दिया जा रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि इस मिशन के तहत उस सिद्धांत को बदलने में मदद मिल सकेगी जिसके तहत माना जाता है कि जहां लैंडिंग हो सकती है, वहीं अंतरिक्ष यान को लैंड कराया जाए।
आपको बता दें कि, चंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के छठे हिस्से के बराबर है। ऐसे में किसी भी अंतरिक्ष यान को उतारना यहां पर चुनौती भरा काम होता है। चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव पानी जैसे संसाधनों का पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण है। स्लिम का वजन 200 किलोग्राम है। जापान के वैज्ञानिकों ने स्लिम को चंद्रमा और ग्रहों पर ज्यादा से ज्यादा मिशन पूरा करने का दावा किया है।